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लेखनी कहानी -07-May-2022 अंग्रेजियत अभी जिंदा है

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जॉनर : हास्य व्यंग्य 

अंग्रेजियत अभी जिंदा है 

अंग्रेज चले गए मगर "काले अंग्रेज" पैदा कर गए । इन काले अंग्रेजों को लगता है कि जिसको अंग्रेजी आती है, अंग्रेजी  पहनावा , अंग्रेजी रहन सहन, अंग्रेजी तौर तरीके जिसको आते हैं बस वही व्यक्ति इस देश पर राज कर सकता है । उनकी निगाह में ऐसा व्यक्ति जो जमीन से जुड़ा हुआ हो, आम इंसान हो, आम लोगों की तरह रहता हो और सबसे बड़ी बात कि वह अंग्रेजी के बजाय हिंदी बोलता हो । तो ऐसे आदमी को राज करने का कोई अधिकार नहीं है । राज तो कोई "खास" ही कर सकता है "आम" नहीं । आम आदमी तो पैदा ही "पिसने" के लिए हुआ है । ऐसे आम आदमी को "राज" किन मूर्खों नै सौंप दिया ? उनकी नजर में ऐसे आदमी को वोट देने वाले लोग निरे मूर्ख हैं । "एलीट" या "खानदानी" आदमी को छोड़कर आम आदमी को चुनने वाले लोग अनपढ, जाहिल, गंवार ही होते हैं इनकी नजरों में । इनके हिसाब से ऐसे मूर्खों को वोट देने का अधिकार होना ही नहीं चाहिए।  

ऐसे "काले अंग्रेज" उस आदमी के पीछे तब से पड़े हैं जब से वह "साहब" बना है । ऐसे तथाकथित प्रबुद्ध लोग उस आदमी को सत्ता से बेदखल करने के लिए नित नये षडयंत्र रच रहे हैं । मगर इस बार आम आदमी ने भी ठान लिया है कि वे इन तथाकथित "एलीट वर्ग" के मंसूबे पूरे नहीं होने देंगे । इसलिये उन्होंने उसे दुबारा गद्दी सौप दी । इस बात की इन्हें इतनी मिर्ची लगी कि इनके अंग विशेष से लगातार धुंआ निकल रहा है । ये लोग उस आदमी की जमकर खिल्ली उड़ाते हैं, एक से एक नई गालियां ढूंढ ढूंढकर लाते हैं । झूठे आरोप लगाते हैं । मगर हर बार ये लोग मुंह की खाते हैं । मगर इनकी बेशर्मी की दाद देनी पड़ेगी कि इन सबके बावजूद ये बेशर्म तथाकथित बुद्धिजीवी अपना "ऐजेण्डा" और तेजी से चलाने की कोशिश करते हैं ।
 
कल भी ऐसा ही एक वाकिया देखने को मिला । हुआ यूं कि आजकल "साहब" विदेशों के दौरों पर हैं । अभी कल ही डेन्मार्क की महारानी ने "साहब" के सम्मान में एक रात्रिभोज दिया । साहब ने महारानी के साथ डिनर की फोटो लेकर ट्विटर पर डाल दी । उस फोटो में डिनर , कटलरी वगैरह दिख रही थी । 

इस फोटो को देखते ही लेफ्ट लिबरल्स,  बुद्धिजीवी , लेखकों और कलाकारों की सुलगने लगी । ये काले अंग्रेज तो "खानदान" की गुलामी करने में अपनी शान समझते थे । जो लोग "शराब" को ही दुनिया समझ बैठे वे एक "चाय" की पैदाइश को कैसे झेल सकते हैं" ? तो ऐसी ही एक तथाकथित बुद्धिजीवी रूपा गुलाब ने उस फोटो पर तंज कसते हुए लिखा "कटलरी काम में लेना आता भी है क्या" ? 

ये सोच है इनकी । ये लोग समझते हैं कि जिसे "कटलरी" यूज करना आता हो , वही इस देश का प्रधानम॔त्री होना चाहिए । वैसे ये तथाकथित बुद्धिजीवी मजदूर, किसानों की बात करते हुए दिखाई देते हैं मगर क्या इन्होंने कभी यह पूछा कि "खानदानियों" को हल चलाना आता है क्या ? ईंट पत्थर ढोना आता है क्या ? इतनी विकृत मानसिकता है इनकी । एक ऐसे आदमी जिसका नेतृत्व संपूर्ण विश्व मान रहा है और ये तुच्छ प्राणी अपनी घृणित मानसिकता के कारण अपने ही देश के "नायक" की तौहीन कर रहे हैं । मगर ये ऐसा ही करेंगे क्योंकि ऐसा करके ये अपनी अंग्रेजियत का सबूत दे रहे हैं । वैसे तो इनके दिन अब लद गये हैं लेकिन "सिस्टम" पर तो इनकी पकड़ अभी भी बनी हुई है । देखते हैं सखि कि ये लोग कब और तक गंद फैलाते हैं ? 

मुद्दे तो बहुत हैं मगर समय ज्यादा नहीं है इसलिए आज इतना ही बहुत है । कल फिर  मिलेंगे । 

बाय बाय 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
7.5.22 

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22 Comments

kashish

12-Feb-2023 02:44 PM

nice

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sunanda

01-Feb-2023 03:02 PM

nice one

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Shnaya

09-May-2022 06:23 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

09-May-2022 06:30 PM

🌷🌷🙏🙏

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